पुरुष का स्पर्म कितना होना चाहिए जिससे बच्चा ठहर सकता है?
गर्भधारण एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें पुरुष और महिला दोनों के स्वास्थ्य का महत्वपूर्ण योगदान होता है। खराब खानपान, बदलती जीवनशैली, और अन्य कारणों से कम उम्र के महिला-पुरुष भी निःसंतानता की समस्या से प्रभावित हो रहे हैं। यह आम धारणा है कि निःसंतानता के लिए केवल महिला ही जिम्मेदार होती है, जबकि सच्चाई यह है कि निःसंतानता में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका पुरुषों के शुक्राणुओं की संख्या और उनकी गुणवत्ता का होता है। पुरुषों में निःसंतानता (male infertility) के लक्षण महिलाओं की तरह बाहर से दिखाई नहीं देते हैं। बाहर से स्वस्थ दिखने वाले पुरुष में भी निःसंतानता की समस्या हो सकती है। अक्सर दंपति यह जानना चाहते हैं कि पुरुष के वीर्य में शुक्राणु की संख्या (spermatozoa count in semen) कितनी होनी चाहिए। इस ब्लॉग पोस्ट में हम जानेंगे कि गर्भधारण के लिए कितनी शुक्राणुओं की संख्या आवश्यक होती है और शुक्राणुओं की संख्या को प्रभावित करने वाले कारण क्या हैं ।
पुरुष निःसंतानता क्या है? (What is Male Infertility in Hindi)
मिरेकल्स फर्टिलिटी एंड आईवीएफ क्लिनिक (Miracles Fertility & IVF Clinic) में गुड़गांव की बांझपन विशेषज्ञ (Infertility Specialist in Gurgaon) डॉ. ऋचा शर्मा (Dr. Richa Sharma) के अनुसार पुरुष निःसंतानता एक पुरुष की प्रजनन क्षमता में कमी या असमर्थता को दर्शाता है। इसका मतलब है कि वह विभिन्न कारणों के कारण गर्भधारण की कोशिशों में सफल नहीं हो सकता है। यह समस्या कई कारणों से उत्पन्न हो सकती है और यह समझना महत्वपूर्ण है कि निःसंतानता केवल महिलाओं से संबंधित नहीं है।
प्राकृतिक गर्भधारण के लिए कितने शुक्राणु होने चाहिए? (How Many Sperm Should There Be for Natural Conception in Hindi)
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के आंकड़ों के अनुसार प्राकृतिक गर्भधारण के लिए पुरुष के वीर्य में प्रति मिलीलीटर कम से कम 15 मिलियन शुक्राणु होने चाहिए, जो सामान्य शुक्राणु संख्या (Normal Sperm Count) है। हालांकि, गर्भधारण की संभावना बढ़ाने के लिए आदर्श शुक्राणु संख्या 40 मिलियन से 300 मिलियन प्रति मिलीलीटर तक होती है। इसके अलावा, शुक्राणुओं की गतिशीलता (spermatozoa motility) और आकार (morphology) भी महत्वपूर्ण हैं । गतिशीलता के संदर्भ में, कम से कम 40% शुक्राणुओं का गतिशील होना और उनमें से 32% का प्रगति करने वाली गतिशीलता होनी चाहिए। आकार की दृष्टि से, कम से कम 4% शुक्राणुओं का सामान्य आकार का होना आवश्यक है। इन सभी कारणों का सम्मिलित प्रभाव प्राकृतिक गर्भधारण की संभावना को बढ़ाता है।
स्पर्म की गुणवत्ता (Sperm Quality)
गुणवत्ता के प्रमुख संकेतक निम्नलिखित हैं:
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गतिशीलता (spermatozoa motility): कम से कम 40% स्पर्म सक्रिय और गतिशील होने चाहिए।
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मॉर्फोलॉजी (Morphology): कम से कम 4% स्पर्म का सामान्य आकार होना चाहिए।
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वॉल्यूम (volume): प्रत्येक स्खलन में 1.5 से 5 मिलीलीटर वीर्य होना चाहिए।
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स्पर्म कंसन्ट्रेशन (sperm concentration) : प्रति मिलिलीटर वीर्य में 15 मिलियन से अधिक स्पर्म सेल्स।
पुरूषों में स्पर्म की मात्रा में कमी के कारण ? (Cause of Oligospermia in Hindi)
पुरूषों में स्पर्म की मात्रा (spermatozoa count) में कमी के निम्न कारण हो सकते हैं :
शारीरिक कारण (Physical Reasons):
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वृषण (Testicles) की समस्याएँ: वृषण में किसी भी प्रकार की चोट या संक्रमण, जैसे कि अंडकोष का मरोड़ (testicular torsion) या मम्प्स, शुक्राणु उत्पादन को प्रभावित कर सकते हैं।
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वरिकोसील (Varicocele): वृषण की नसों की सूजन जिससे शुक्राणु उत्पादन में कमी हो सकती है।
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अवरोध (Obstruction): वीर्य नलिकाओं में अवरोध होने से शुक्राणु वीर्य में मिल नहीं पाते।
जीवविज्ञानिक कारण (Biological Reasons):
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हॉर्मोनल असंतुलन (Hormonal Imbalance): पिट्यूटरी ग्रंथि से संबंधित हॉर्मोन की कमी या असंतुलन शुक्राणु उत्पादन को प्रभावित कर सकता है।
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जीनेटिक विकार (Genetic Disorders): कुछ जीनेटिक विकार, जैसे कि क्लाइनफेल्टर सिंड्रोम (Klinefelter syndrome), निःसंतानता का कारण बन सकते हैं।
पर्यावरणीय कारण (Environmental Causes):
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रसायनों का संपर्क (Exposure to Chemicals): कीटनाशक, भारी धातुओं और अन्य रसायनों के संपर्क में आने से शुक्राणु उत्पादन प्रभावित हो सकता है।
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अत्यधिक गर्मी (Excessive Heat): अत्यधिक गर्मी या अंडकोष का तापमान बढ़ने से शुक्राणु उत्पादन कम हो सकता है।
अन्य कारण (Other Reasons) :
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धूम्रपान और शराब (Smoking and Alcohol): धूम्रपान और अत्यधिक शराब का सेवन शुक्राणुओं की संख्या और गुणवत्ता को कम करता है।
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तनाव और अवसाद (Stress and Depression): मानसिक तनाव और अवसाद भी निःसंतानता का कारण बन सकते हैं।
पुरुष निःसंतानता के लक्षण (Symptoms of Male Infertility in Hindi)
पुरुष निःसंतानता (infertility) के कई लक्षण हो सकते हैं। ये लक्षण आमतौर पर प्रजनन प्रणाली या हार्मोनल असंतुलन से संबंधित होते हैं। निम्नलिखित मुख्य लक्षण हो सकते हैं:
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शुक्राणु की समस्या (Sperm Problem):
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शुक्राणु की संख्या कम होना (Oligospermia)
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शुक्राणु की गति या गुणवत्ता में कमी (Asthenospermia)
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शुक्राणु का अभाव (Azoospermia)
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सेक्सुअल फंक्शन में समस्याएं (Problems with Sexual Function):
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इरेक्टाइल डिसफंक्शन (Erectile Dysfunction)
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इजैकुलेशन में समस्या (Problem in Ejaculation)
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हार्मोनल असंतुलन (Hormonal Imbalance):
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कम सेक्स ड्राइव (Low Sex Drive)
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शारीरिक ऊर्जा में कमी (Lack of Physical Energy)
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बालों का गिरना या शरीर के बालों का कम होना (Hair Fall or Reduction of Body Hair)
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वृषण में समस्याएं (Problems with Testicles)
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वृषणों में सूजन, दर्द या गांठ (Swelling, Pain, or Lump in the Testicles)
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वृषणों का छोटा या सख्त होना (Small or Hard Testicles)
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अन्य लक्षण (Other Symptoms)
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स्तनों में वृद्धि (Enlargement of breasts)
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मांसपेशियों का कम होना loss of muscle mass
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मोटापा (Obesity)
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ये लक्षण अलग-अलग पुरुषों में विभिन्न हो सकते हैं और हमेशा निःसंतानता का संकेत नहीं होते। अगर आपको इनमें से कोई भी लक्षण का अनुभव करते हैं, तो निदान और उपचार के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रजनन चिकित्सक (Best Fertility Doctor) से परामर्श लें।
पुरूष निःसंतानता के जांच और निदान (Testing and Diagnosis of Male Infertility in Hindi)
पुरुष निःसंतानता के जांच और निदान के लिए कुछ महत्वपूर्ण टेस्ट और प्रक्रियाएँ होती हैं। पुरुषों में प्रजनन क्षमता की जांच (male fertility test) के लिए निम्नलिखित परीक्षण किये जा सकते हैं
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शुक्राणु विश्लेषण (Semen Analysis): शुक्राणु विश्लेषण एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जो पुरुषों के प्रजनन स्वास्थ्य की मापन करने के लिए की जाती है। यह टेस्ट पुरुषों के वीर्य (semen) में मौजूद स्पर्म की संख्या (sperm count), गुणवत्ता और अन्य विशेषताओं का मूल्यांकन करता है
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हार्मोन टेस्ट (Hormonal Test): अगर संभावित है कि बांझपन की समस्या हार्मोनल हो सकती है, तो हार्मोनल जाँच की जा सकती है। इसमें टेस्टोस्टेरोन और अन्य हार्मोन का स्तर मापा जाता है।
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उल्ट्रासाउंड (Ultrasound) : कई बार, इमेजिंग टेस्ट्स जैसे उल्ट्रासाउंड किए जा सकते हैं ताकि पुरुषों की अंदरूनी संरचनाओं में किसी समस्या का पता लगाया जा सके।
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जेनेटिक टेस्ट (Genetic Test) : यदि किसी को जेनेटिक समस्या की संभावना हो, तो विशेषज्ञ जेनेटिक टेस्ट की सिफारिश कर सकते हैं। इस टेस्ट के माध्यम से किसी भी जेनेटिक विकार को पहचाना जा सकता है जो निःसंतानता का कारण बन सकता है।
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सामान्य चिकित्सा जांच (General Medical Examination) : डॉक्टर सामान्य चिकित्सा जांच करेंगे जैसे कि रक्त परीक्षण, वजन, और सामान्य स्वास्थ्य जांच। इससे पुरुष के सामान्य स्वास्थ्य को जांचा जा सकता है और कोई अन्य संबंधित समस्याएं भी पता चल सकती हैं।
पुरुष निःसंतानता के जांच और निदान के लिए उपरोक्त टेस्टों का उपयोग किया जाता है। इन टेस्टों के परिणामों के आधार पर, डॉक्टर उपयुक्त उपचार की सलाह देंगे ।
शुक्राणुओं की संख्या कैसे बढ़ाएं (How to Increase Sperm Count in Hindi)
शुक्राणु की संख्या (spermatozoa count) बढ़ाने के लिए आप निम्नलिखित उपाय अपना सकते हैं:
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स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं (Adopt a Healthy Lifestyle)
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संतुलित आहार (Balanced Diet): विटामिन सी, विटामिन डी, जिंक, फोलिक एसिड, और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर आहार लें। फलों, सब्जियों, नट्स, और साबुत अनाज का सेवन करें।
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धूम्रपान और शराब सेवन से बचें (Avoid Smoking and Alcohol): धूम्रपान और अत्यधिक शराब के सेवन से बचें, क्योंकि ये शुक्राणु की संख्या और गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं।
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नियमित व्यायाम (Regular Exercise): नियमित रूप से मध्यम व्यायाम करें। हालांकि, अत्यधिक व्यायाम से बचें।
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तनाव कम करें (Reduce Stress): योग, मेडिटेशन और गहरी सांस लेने की तकनीकों से तनाव को कम करें।
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वजन नियंत्रित रखें (Keep Weight Under Control): अत्यधिक वजन से हॉर्मोनल असंतुलन हो सकता है, जिससे शुक्राणु उत्पादन प्रभावित हो सकता है। स्वस्थ वजन बनाए रखने के लिए नियमित व्यायाम और संतुलित आहार अपनाएं।
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अच्छी नींद लें (Have a Good Sleep): रात में अच्छी नींद लेने से हॉर्मोनल संतुलन और शुक्राणु उत्पादन में सुधार हो सकता है।
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अत्यधिक गर्मी से बचें (Avoid Extreme Heat): अत्यधिक गर्मी से शुक्राणु उत्पादन पर बुरा असर पड़ सकता है। गर्म पानी के स्नान, सॉना और टाइट अंडरवियर से बचें।
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विटामिन और सप्लीमेंट्स (Vitamins and Supplements)
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जिंक (Zinc): जिंक का सेवन बढ़ाने से शुक्राणु की संख्या और गुणवत्ता में सुधार हो सकता है।
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फोलिक एसिड (Folic Acid): फोलिक एसिड की खुराक लेने से शुक्राणु उत्पादन में वृद्धि हो सकती है।
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विटामिन सी और डी (Vitamin C and D): ये विटामिन एंटीऑक्सीडेंट की तरह काम करते हैं और शुक्राणु को ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से बचाते हैं।
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हार्मोनल संतुलन बनाए रखें (Maintain Hormonal Balance) : हार्मोनल असंतुलन के कारण शुक्राणु उत्पादन प्रभावित हो सकता है। इसके लिए, आप एक योग्य चिकित्सा विशेषज्ञ से परामर्श ले सकते हैं।
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संक्रमण और बीमारियों से बचें (Avoid Infections and Diseases): संक्रमण और बीमारियों से बचने के लिए नियमित चेकअप कराएं और उचित उपचार लें।
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डॉक्टर से परामर्श (Consult Doctor): इन उपायों को अपनाकर आप अपनी शुक्राणु संख्या और गुणवत्ता में सुधार ला सकते हैं। बेहतर परिणामों के लिए धैर्य रखें और एक नियमित दिनचर्या का पालन करें। यदि उपरोक्त उपायों से भी कोई सुधार न हो, तो एक प्रजनन विशेषज्ञ (fertility specialist) से परामर्श लें।
कम शुक्राणुओं में कैसे बने पिता (How to become a father with low sperm count)
कम शुक्राणुओं (low spermatozoa count)की समस्या के बावजूद पिता बनने के कई तरीके हो सकते हैं। निम्नलिखित विकल्प आपकी मदद कर सकते हैं:
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स्वस्थ जीवनशैली:
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आहार में बदलाव: विटामिन सी, विटामिन डी, जिंक, और फोलिक एसिड से भरपूर आहार लें।
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वजन नियंत्रित रखें: अत्यधिक वजन से शुक्राणु की गुणवत्ता पर प्रभाव पड़ता है।
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धूम्रपान और शराब से बचें: इनसे शुक्राणु की संख्या और गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
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तनाव कम करें: योग, मेडिटेशन और अन्य तनाव कम करने वाली गतिविधियाँ।
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नियमित व्यायाम: लेकिन अत्यधिक व्यायाम से बचें।
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प्रजनन विशेषज्ञ से सलाह लें:
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हार्मोनल उपचार: टेस्टोस्टेरोन और अन्य हार्मोन स्तर को नियंत्रित करने के लिए दवाएं।
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प्रजनन तकनीक: इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) और इंट्रासाइटोप्लास्मिक स्पर्म इंजेक्शन (ICSI) जैसी तकनीकें।
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असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी (ART):
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आईयूआई (IUI): इन्ट्रायूटेरिन इनसेमिनेशन।
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आईवीएफ (IVF): इन विट्रो फर्टिलाइजेशन।
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आईसीएसआई (ICSI): इंट्रासाइटोप्लास्मिक स्पर्म इंजेक्शन, जब शुक्राणु की संख्या बहुत कम हो।
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इनमें से कोई भी तरीका अपनाने से पहले एक चिकित्सा विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य करें। विशेषज्ञ आपकी व्यक्तिगत स्थिति के आधार पर सबसे उचित समाधान सुझाएंगे।
मिरेकल्स फर्टिलिटी और आईवीएफ क्लिनिक में पुरुष बांझपन का उपचार (Male Infertility Treatment at Miracles Fertility and IVF Clinic)
मिरेकल्स फर्टिलिटी और आईवीएफ क्लिनिक में पुरुष बांझपन के प्रबंधन के लिए विशेषज्ञों की टीम, नवीनतम तकनीकें और समर्पित समर्थन सेवाएं उपलब्ध हैं, जो मरीजों को सफल परिणाम प्राप्त करने में मदद करती हैं। यहां पर फर्टिलिटी विशेषज्ञ प्रारंभिक जांच और स्पर्म एनालिसिस से शुरू करते हैं, जिससे समस्या की जड़ तक पहुंचा जा सके। इसके बाद, मरीजों को व्यक्तिगत उपचार योजनाएं प्रदान की जाती हैं, जिनमें हॉर्मोनल थैरेपी, दवाइयां, और प्रजनन तकनीकें जैसे इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF), इन्ट्रायूटेरिन इनसेमिनेशन (IUI) और इंट्रासाइटोप्लास्मिक स्पर्म इंजेक्शन (ICSI) शामिल होती हैं। जीवनशैली में बदलाव और आहार संबंधी सुझाव भी दिए जाते हैं। इसके अलावा मिरेकल्स फर्टिलिटी और आईवीएफ क्लिनिक की टीम मरीजों को मानसिक और भावनात्मक समर्थन भी प्रदान करती है, जिससे समग्र रूप से उनकी प्रजनन स्वास्थ्य में सुधार हो सके।
निष्कर्ष (Conclusion)
पुरुष निःसंतानता एक गंभीर समस्या है, जो शारीरिक, जीवविज्ञानिक, आजीवन और पर्यावरणीय कारणों से हो सकती है। सही निदान और उपचार से इस समस्या का समाधान संभव है। समय पर विशेषज्ञ से परामर्श लेना और उचित उपचार अपनाना आवश्यक है ताकि दंपति अपनी संतान उत्पन्न करने की इच्छा को पूरा कर सकें। स्वस्थ जीवनशैली और मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना भी निःसंतानता से बचाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
यदि आपको गर्भधारण में कठिनाई हो रही है और आप विशेषज्ञ की सलाह लेना चाहते हैं, तो मिरेकल हेल्थकेयर (Miracles Healthcare) मे तुरंत अपने नजदीकी प्रजनन विशेषज्ञ (fertility specialist near you) से संपर्क करें। सही समय पर चिकित्सा सहायता आपके सपनों को हकीकत में बदल सकती है। स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं और अपने प्रजनन स्वास्थ्य का ध्यान रखें।
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